हिंदी के प्रख्यात कवि, नाटककार एवम छायावाद के महत्वपूर्ण स्तंभ जयशंकर प्रसाद की जयंती पर व्याखान आयोजित
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर मुख्यालय में प्रसाद जी के जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा
बिलासपुर – 30 जनवरी’ 2023
प्रख्यात साहित्यकार जय शंकर प्रसाद की जयंती दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के राजभाषा विभाग में मनाई गया। इस अवसर पर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जन संपर्क अधिकारीसाकेत रंजन, वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी विक्रम सिंह सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे ।
जय शंकर प्रसाद जयंती के अवसर पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए मुख्य जन संपर्क अधिकारी साकेत रंजन ने कहा किजयशंकरप्रसाद ऐसेएकसाहित्यकारहैंजिन्होंनेभारतकेस्वर्णिमअतीतकेपुनःसृजनकरनेकाप्रयत्नकियाहै।उनकीरचनाएंइसकेसाक्षीहै ,प्रमाणहै।साहित्यकारअतीतकानिषेधनहींकरताबल्किउसकोअवश्यग्रहणकरताह।अतीतयानेविरासतकेठोसधरातलपरखड़ेहोकरवहवर्तमानएवंभविष्यपरदृष्टिडालताहै।गोयाकिअतीतकापुनर्मूल्यांकनकरतेहुएवर्तमानमेंखडेहोकरभविष्यकोगढनेकाजोखिमभराकामकरनेवालासाहित्यकारहीदरअसलमहानसाहित्यकारहोतेहैं।व्यास ,वाल्मीकि ,कालिदाससेलेकरसारेहिन्दीसाहित्यकेजयशंकरप्रसाद ,सुमित्रानंदनपंत ,सूर्यकान्तत्रिपाठीनिराला ,मुक्तिबोधजैसेअनेकप्रतिभाकेधनीरचनाकारोंनेमानवकोसहीदिशानिर्देशकरनेकाकार्यकियाहै।यहसिर्फभारतीयसाहित्यकीखासियतहीनहींविश्वसाहित्यइसकागवाहहै।स्वाधीनतापरवर्तीभारतीयसमाजसमस्याओंकीचुनौतीमेंखड़ाहुआहै।निराशाग्रस्तएवंआश्रयहीनहोकरजनताभटकरहीथी।ऐसीएकविकटपरिस्थतिमेंजनमानसकेअन्तरंगकोपहचाननेमेंहिन्दीकेबहुतसारेसाहित्याकरसफलहुएहै।जिनमेंजयशंकरप्रसादजीकानामविशेषउल्लेखनीयहै।उनकीसृजनात्कताकीअपनीअलगबीवी विशेशषताहै।उन्होंनेमानवजीवनकेयथार्थकोभारतकेस्वर्णिमअतीतकेसाथजोडनेकासफलप्रयासकियाहै ।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी विक्रम सिंह ने जय शंकर प्रसाद की रचनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उर्वशी’, ‘झरना’, ‘चित्राधार’, ‘आँसू’, ‘लहर’, ‘कानन-कुसुम’, ‘करुणालय’, ‘प्रेम पथिक’, ‘महाराणा का महत्त्व’, ‘कामायनी’, ‘वन मिलन’ उनकी प्रमुख काव्य-रचनाएँ हैं। ‘कामायनी’ उनकी विशिष्ट रचना है जिसे मुक्तिबोध ने विराट फ़ैंटेसी के रूप में देखा है और नामवर सिंह ने इसे आधुनिक सभ्यता का प्रतिनिधि महाकाव्य कहा है। कविताओं के अलावे उन्होंने गद्य में भी विपुल मौलिक योगदान किया है। ‘कामना’, विशाख, एक घूँट, अजातशत्रु, जनमेजय का नाग-यज्ञ, राज्यश्री, स्कंदगुप्त, सज्जन, चंद्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, कल्याणी, प्रायश्चित उनके नाटक हैं, जबकि कहानियों का संकलन छाया, आँधी, प्रतिध्वनि, इंद्रजाल, आकाशदीप में हुआ है। कंकाल, तितली और इरावती उनके उपन्यास हैं और ‘काव्य और कला तथा अन्य निबंध’ उनका निबंध-संग्रह है ।
अन्य अधिकारियों एवं रेलकर्मियों ने प्रसाद जी के काव्य एवं नाटकों का वाचन किया तथा राष्ट्र के लिए प्रसाद जी के आह्वान के अनुसार अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा ग्रहण किया ।
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